क़ानूनी रूप से पति का दायित्व है कि वह अपनी पत्नी एवं नाबालिग बच्चों का भरण पोषण करे औरपुत्र अपने वृद्ध और असमर्थ माता पिता के भरण पोषण की जिम्मेदारी निभाए पति द्वारा अपने कर्तव्य का पालन नहीं करने पर अदालत कई बार पत्नी और बच्चो को अंतरिम भरण पोषण दिलाने का आदेश देती है।
इसी प्रकार पुत्र द्वारा अपने वृद्ध और असमर्थ माता पिता के भरण पोषण की जिम्मेदारी नहीं निभाए जाने पर इस कानून के तहत भरण पोषण पाने का हक़दार पत्नी ,नाबालिग बच्चे ,और माता पिता जो आर्थिक रूप से अपना भरण पोषण कर पाने में असमर्थ है वे अपने भरण पोषण के लिए मांग कर सकते है.
मानसिक एवं शारीरिक रूप से अपंग असमर्थ बच्चे बालिग होने के बाद भी अपने पिता से अपने भरण पोषण के लिए राशि मांग सकते है।
इस धारा के अधीन पत्नी अपने पति से,नाबालिग बच्चे अपने पिता से ,माता पिता अपने पुत्र से भरण पोषण की राशि की मांग कर सकते है।
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 के अंतर्गत पत्नी अपने से पति से अपने स्वयं एवं अपने बच्चो के लिए भरण पोषण राशि प्राप्त करने के लिए दावा कर सकती है।माता पिता अपने पुत्र से भरण पोषण की राशि की मांग कर सकते है।
दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 125 में पत्नी को भरण पोषण देने का प्रावधान है कि
(1) यदि पर्याप्त साधनों वाला कोई व्यक्ति अपनी पत्नी का, जो अपने स्वयं का भरण पोषण करने में असमर्थ है, या अपनी धर्मज या अधर्मज अवयस्क सन्तान का चाहे संतान विवाहित हो या न हो, और जो अपना भरण पोषण करने में असमर्थ है तो उसका भरण पोषण करे।यदि पर्याप्त साधनो वाला व्यक्ति अपने इस दायित्व को नहीं निभाता है तो कानूनन उसे इस बात का आदेश दिया जा सकता है की वह अपने उपरोक्त श्रेणी के आश्रितो का भरण पोषण करे उनके भरण पोषण की राशि अदा करे। धारा 125 दंड प्रक्रिया सहिंता 1973
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